Best Shayari in Hindi 2022: Everything you need this year. We have designed an extremely fresh collection for you guys. As well as I'm going to make sure that it's updated for you. Cheers!
1.फलसफा समझो न असरारे सियासत समझो, जिन्दगी सिर्फ हकीक़त है हकीक़त समझो, जाने किस दिन हो हवायें भी नीलाम यहाँ, आज तो साँस भी लेते हो ग़नीमत समझो|
2. समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता|
3. काँटों से गुजर जाता हूँ दामन को बचा कर, फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ|
4. बुलंदी का नशा सिमतों का जादू तोड़ देती है, हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है, सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है, तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है|
5. सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है, आँखे छीन लेती है फिर चश्में दान करती है|
6. ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया, गरीबों को गरीब अमीरों को माला माल कर दिया|
7. सियासत को लहू पीने की लत है, वरना मुल्क में सब ख़ैरियत है|
8. एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना|
9. सियासत की दुकानों में रोशनी के लिए, जरूरी है कि मुल्क मेरा जलता रहे|
10. इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले, ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले|
11. जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता, मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता, काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त, फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता|
12. वक्त कहता है कि फिर नहीं आऊंगा, तेरी आँखों को अब न रुलाऊंगा| जीना है तो इस पल को जी ले, शायद मैं कल तक न रुक पाऊंगा|
13. ना जाने कितनी अनकही बातें, कितनी हसरतें साथ ले जाएगें लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें|
14. अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे , फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे , ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे , अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे|
15. लू भी चलती थी तो बादे शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे, उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद, और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे|
16. हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते, जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते, अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते|
17. चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं, इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं, महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश , जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है|
18. तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके , दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके , मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी , तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके|
19. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो, एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो|
20. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं, मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था, मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं|
21. अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ, ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ, फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ|
22. रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है, रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं, रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है|
23. उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी, मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी, मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता, यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी|
24. हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते, जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते, अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते|
25. मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए|
26. बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ|
27. आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर, लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के|
28. कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी, चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है, माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास, पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है|
29. उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था, सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला, इक मुसाफिर के सफर जैसी है सब की दुनिया, कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला|
30. यार तो आइना हुआ करते हैं यारों के लिए, तेरा चेहरा तो अभी तक है नकाबों वाला, मुझसे होगी नहीं दुनिया ये तिजारत दिल की, मैं करूँ क्या कि मेरा जहान है ख्वाबों वाला|
31. हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ, दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे, ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे|
32. इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी, रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं, अपनी अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ, एक दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं|
33. दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा है, भरी महफिल में सच बोलना अब जुर्म जैसा है, हर एक ज्यादती को सहन कर लो चुपचाप, शहर में इस तरह से चीखना जुर्म जैसा है|
34. जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो, जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो, कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं, जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो|
35. कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया, मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया, न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार, बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया|
36. काफिरों को कभी भी जन्नत नहीं मिलती, यही सोचकर हमसे मोहब्बत नहीं मिलती, कोई शाख से तोड़े तुम्हें तो टूट जाना तुम, खुद ब खुद टूटे तो इज्जत नहीं मिलती|
37. अब आयें या न आयें इधर पूछते चलो, क्या चाहती है उनकी नजर पूछते चलो, हम से अगर है तर्क ए ताल्लुक तो क्या हुआ, यारो कोई तो उनकी खबर पूछते चलो|
38. जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते, जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं, बे इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी, अफ़सोस कि अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं|
39. वक़्त नूर को बेनूर कर देता है, छोटे से जख्म को नासूर कर देता है, कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है|
40. किसी को दिल दीवाना पसंद है, किसी को दिल का नजराना पसंद है, औरों की तो मुझे ख़बर नही लेकिन, मुझे तो अपनो का मुस्कुराना पसंद है|
41. वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ, पर अपनों का पता चलता है वक़्त के साथ, वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ|
42. एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं, और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं|
43. होने वाले ख़ुद ही अपने हो जाते हैं, किसी को कहकर अपना बनाया नहीं जाता|
44. मुझे गुमान था कि चाहा बहुत सबने मुझे, मैं अज़ीज़ सबको था मगर ज़रूरत के लिए|
45. सो जा ऐ दिल कि अब धुन्ध बहुत है तेरे शहर में, अपने दिखते नहीं और जो दिखते हैं वो अपने नहीं|
46. कुछ लोग तो इसलिये अपने बने हैं अभी, कि मेरी बर्बादी का दीदार करीब से हो|
47. एक चेहरा जो मेरे ख्वाब सजा देता है, मुझ को मेरे ही ख्यालों में सदा देता है|
48. वो मेरा कौन है मालूम नहीं है लेकिन, जब भी मिलता है तो पहलू में जगा देता है|
49. मैं जो अन्दर से कभी टूट के बिखरूं, वो मुझ को थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है|
50. मैं जो तनहा कभी चुपके से भी रोना चाहूँ, तो दिल के दरवाज़े की ज़ंजीर हिला देता है|
51. उस की कुर्बत में है क्या बात न जाने मोहसिन, एक लम्हे के लिए सदियों को भुला देता है|
52. मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला, साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला|
53. मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक, दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला|
54. बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं, वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला|
55. उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर, मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला|
56. एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए, ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा ए मातम नहीं मिला|
57. वो हमसफ़र कि मेरे तंज़ पे हंसा था बहुत, सितम ज़रीफ़ मुझे आइना दिखा के मिला|
58. मेरे मिज़ाज पे हैरान है ज़िन्दगी का शऊर, मैं अपनी मौत को अक्सर गले लगा के मिला|
59. मैं उस से मांगता क्या? खून बहा जवानी का, कि वो भी आज मुझे अपना घर लुटा के मिला|
60. मैं जिस को ढूँढ रहा था नज़र के रास्ते में, मुझे मिला भी तो ज़ालिम नज़र झुका के मिला|
61. मैं ज़ख़्म ज़ख़्म बदन ले के चल दिया मोहसिन, वो जब भी अपनी काबा पर केवल सजा के मिला|
62. जिन के आंगन में अमीरी का शजर लगता है, उन का हर एब भी जमानें को हुनर लगता है|
63. सारी गलती हम अपनी किस्मत की कैसे निकल दें, कुछ साथ हमारा तेरी अमीरी ने भी तोडा है|
64. तुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थे, हम उन दिनों अमीर थे जब तुम गरीब थे|
65. कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी, एक सिक्के के बदले जो बेशकीमती दुआये दे देता है|
66. अमीरों के लिए बेशक तमाशा है ये जलजला, गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा|
67. दिल की दहलीज पर यादों के दिए रखें हैं, आज तक हम ने ये दरवाजे खुले रखे हैं|
68. इस कहानी के वो किरदार कहाँ से लाऊं, वो ही दरिया है वो ही कच्चे घड़े रखे हैं|
69. हम पर जो गुजरी बताया न बताएँगे कभी, कितने ख़त अब भी तेरे लिखे हुए रखे हैं|
70. आपके पास खरीदारी की कुव्वत है अगर, आज सब लोग दुकानों में सजे रखे हैं|
71. दिन की रोशनी ख्वाबों को सजाने में गुजर गई, रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई, जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं, सारी उमर उस घर को बनाने में गुजर गई|
72. अगर टूटे किसी का दिल तो शब भर आँख रोती है, ये दुनिया है गुलों की जिस्म में काँटे पिरोती है, हम मिलते हैं अपने गाँव में दुश्मन से भी इठलाकर, तुम्हारा शहर देखा तो बड़ी तकलीफ होती है|
73. सरे बाज़ार निकलूं तो आवारगी की तोहमत, तन्हाई में बैठूं तो इल्जाम ए मोहब्बत|
74. ना शाखों ने पनाह दी, ना हवाओ ने बक्शा, वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता|
75. मेरी आवारगी में कुछ क़सूर तेरा भी है सनम, जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता|
76. क्यूँ मेरी आवारगी पे ऊँगली उठाते हैं जमाने वाले, मैं तो आशिक हूँ और ढूंढता हूँ वफ़ा निभाने वाले|
77. ये इश़्क तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो, जवानी में फुर्सत ही कहाँ आवारगी से|
78. बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी, सलीका चाहिये जनाब आवारगी में|
79. घर से निकल पड़े आवारगी उठा कर, हमको यही बहुत है असबाब इस सफ़र में|
80. अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी, जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है|
81. मजबूरियाँ हावी हो जाएँ ये जरूरी तो नहीं, थोडे़ बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है|
82. वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं|
83. वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं|
84. भटकती है हवस दिन रात सोने की दुकानों पर, गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है|
85. जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को, ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे|
86. जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता|
87. सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर, परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर|
88. सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
89. चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने, सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया|
90. रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने, सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला|
91. यूँ न झाँका करो किसी गरीब के दिल में, वहाँ हसरतें बेलिबास रहा करती हैं|
92. तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है|
93. कैसे मोहब्बत करूं बहुत गरीब हूँ साहब, लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता|
94. उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं, क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं|
95. यहाँ गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी है, कि कहीं कफ़न महंगा ना हो जाए|
96. कुछ दर्द कुछ नमी कुछ बातें जुदाई की, गुजर गया ख्यालों से तेरी याद का मौसम|
97. कभी टूटा नहीं दिल से तेरी याद का रिश्ता, गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा ही रहता है|
98. तस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी सा है, मगर एक तस्वीर है, जो ख्यालों में बनी है|
99. मुझे जिस दम खयाले नर्गिसे मस्ताना आता है, बड़ी मुश्किल से काबू में दिले दीवाना आता है|
100. पीते पीते जब भी आया तेरी आंखों का खयाल, मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत|
Best Shayari in Hindi 2022
2. समझने ही नहीं देती सियासत हम को सच्चाई, कभी चेहरा नहीं मिलता कभी दर्पन नहीं मिलता|
3. काँटों से गुजर जाता हूँ दामन को बचा कर, फूलों की सियासत से मैं बेगाना नहीं हूँ|
4. बुलंदी का नशा सिमतों का जादू तोड़ देती है, हवा उड़ते हुए पंछी के बाज़ू तोड़ देती है, सियासी भेड़ियों थोड़ी बहुत गैरत ज़रूरी है, तवायफ तक किसी मौके पे घुंघरू तोड़ देती है|
5. सियासत इस कदर अवाम पे अहसान करती है, आँखे छीन लेती है फिर चश्में दान करती है|
6. ऐ सियासत तूने भी इस दौर में कमाल कर दिया, गरीबों को गरीब अमीरों को माला माल कर दिया|
7. सियासत को लहू पीने की लत है, वरना मुल्क में सब ख़ैरियत है|
8. एक आँसू भी हुकूमत के लिए ख़तरा है, तुम ने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना|
9. सियासत की दुकानों में रोशनी के लिए, जरूरी है कि मुल्क मेरा जलता रहे|
10. इन से उम्मीद न रख हैं ये सियासत वाले, ये किसी से भी मोहब्बत नहीं करने वाले|
11. जो तीर भी आता वो खाली नहीं जाता, मायूस मेरे दिल से सवाली नहीं जाता, काँटे ही किया करते हैं फूलों की हिफाज़त, फूलों को बचाने कोई माली नहीं जाता|
12. वक्त कहता है कि फिर नहीं आऊंगा, तेरी आँखों को अब न रुलाऊंगा| जीना है तो इस पल को जी ले, शायद मैं कल तक न रुक पाऊंगा|
13. ना जाने कितनी अनकही बातें, कितनी हसरतें साथ ले जाएगें लोग झूठ कहते हैं कि खाली हाथ आए थे और खाली हाथ जाएगें|
14. अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे , फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे , ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे , अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे|
15. लू भी चलती थी तो बादे शबा कहते थे, पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे, उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद, और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे|
16. हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते, जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते, अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते|
17. चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं, इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं, महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश , जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है|
18. तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके , दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके , मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी , तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके|
19. आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो, ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो, एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो|
20. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको, वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं, मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था, मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं|
21. अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ, ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ, फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया, ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ|
22. रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है, चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है, रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं, रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है|
23. उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी, मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी, मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता, यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी|
24. हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते जाते, जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते, अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है, उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते|
25. मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया, इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए|
26. बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर, जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ|
27. आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर, लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के|
28. कहीं बेहतर है तेरी अमीरी से मुफलिसी मेरी, चंद सिक्कों की खातिर तूने क्या नहीं खोया है, माना नहीं है मखमल का बिछौना मेरे पास, पर तू ये बता कितनी रातें चैन से सोया है|
29. उसको रुखसत तो किया था मुझे मालूम न था, सारा घर ले गया घर छोड़ के जाने वाला, इक मुसाफिर के सफर जैसी है सब की दुनिया, कोई जल्दी में कोई देर से जाने वाला|
30. यार तो आइना हुआ करते हैं यारों के लिए, तेरा चेहरा तो अभी तक है नकाबों वाला, मुझसे होगी नहीं दुनिया ये तिजारत दिल की, मैं करूँ क्या कि मेरा जहान है ख्वाबों वाला|
31. हमारा ज़िक्र भी अब जुर्म हो गया है वहाँ, दिनों की बात है महफ़िल की आबरू हम थे, ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर, जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे|
32. इस शहर की भीड़ में चेहरे सारे अजनबी, रहनुमा है हर कोई, पर रास्ता कोई नहीं, अपनी अपनी किस्मतों के सभी मारे यहाँ, एक दूजे से किसी का वास्ता कोई नहीं|
33. दिलों की बंद खिड़की खोलना अब जुर्म जैसा है, भरी महफिल में सच बोलना अब जुर्म जैसा है, हर एक ज्यादती को सहन कर लो चुपचाप, शहर में इस तरह से चीखना जुर्म जैसा है|
34. जरुरी तो नहीं जीने के लिए सहारा हो, जरुरी तो नहीं हम जिनके हैं वो हमारा हो, कुछ कश्तियाँ डूब भी जाया करती हैं, जरुरी तो नहीं हर कश्ती का किनारा हो|
35. कश्ती है पुरानी मगर दरिया बदल गया, मेरी तलाश का भी तो जरिया बदल गया, न शक्ल बदली न ही बदला मेरा किरदार, बस लोगों के देखने का नजरिया बदल गया|
36. काफिरों को कभी भी जन्नत नहीं मिलती, यही सोचकर हमसे मोहब्बत नहीं मिलती, कोई शाख से तोड़े तुम्हें तो टूट जाना तुम, खुद ब खुद टूटे तो इज्जत नहीं मिलती|
37. अब आयें या न आयें इधर पूछते चलो, क्या चाहती है उनकी नजर पूछते चलो, हम से अगर है तर्क ए ताल्लुक तो क्या हुआ, यारो कोई तो उनकी खबर पूछते चलो|
38. जो बात मुनासिब है वो हासिल नहीं करते, जो अपनी गिरह में हैं वो खो भी रहे हैं, बे इल्म भी हम लोग हैं ग़फ़लत भी है तेरी, अफ़सोस कि अंधे भी हैं और सो भी रहे हैं|
39. वक़्त नूर को बेनूर कर देता है, छोटे से जख्म को नासूर कर देता है, कौन चाहता है अपनों से दूर रहना, पर वक़्त सबको मजबूर कर देता है|
40. किसी को दिल दीवाना पसंद है, किसी को दिल का नजराना पसंद है, औरों की तो मुझे ख़बर नही लेकिन, मुझे तो अपनो का मुस्कुराना पसंद है|
41. वक़्त का पता नहीं चलता अपनों के साथ, पर अपनों का पता चलता है वक़्त के साथ, वक़्त नहीं बदलता अपनों के साथ, पर अपने ज़रूर बदल जाते हैं वक़्त के साथ|
42. एक अजीब सी दौड़ है ये ज़िन्दगी, जीत जाओ तो कई अपने पीछे छूट जाते हैं, और हार जाओ तो अपने ही पीछे छोड़ जाते हैं|
43. होने वाले ख़ुद ही अपने हो जाते हैं, किसी को कहकर अपना बनाया नहीं जाता|
44. मुझे गुमान था कि चाहा बहुत सबने मुझे, मैं अज़ीज़ सबको था मगर ज़रूरत के लिए|
45. सो जा ऐ दिल कि अब धुन्ध बहुत है तेरे शहर में, अपने दिखते नहीं और जो दिखते हैं वो अपने नहीं|
46. कुछ लोग तो इसलिये अपने बने हैं अभी, कि मेरी बर्बादी का दीदार करीब से हो|
47. एक चेहरा जो मेरे ख्वाब सजा देता है, मुझ को मेरे ही ख्यालों में सदा देता है|
48. वो मेरा कौन है मालूम नहीं है लेकिन, जब भी मिलता है तो पहलू में जगा देता है|
49. मैं जो अन्दर से कभी टूट के बिखरूं, वो मुझ को थामने के लिए हाथ बढ़ा देता है|
50. मैं जो तनहा कभी चुपके से भी रोना चाहूँ, तो दिल के दरवाज़े की ज़ंजीर हिला देता है|
51. उस की कुर्बत में है क्या बात न जाने मोहसिन, एक लम्हे के लिए सदियों को भुला देता है|
52. मैं खिल नहीं सका कि मुझे नम नहीं मिला, साक़ी मिरे मिज़ाज का मौसम नहीं मिला|
53. मुझ में बसी हुई थी किसी और की महक, दिल बुझ गया कि रात वो बरहम नहीं मिला|
54. बस अपने सामने ज़रा आँखें झुकी रहीं, वर्ना मिरी अना में कहीं ख़म नहीं मिला|
55. उस से तरह तरह की शिकायत रही मगर, मेरी तरफ़ से रंज उसे कम नहीं मिला|
56. एक एक कर के लोग बिछड़ते चले गए, ये क्या हुआ कि वक़्फ़ा ए मातम नहीं मिला|
57. वो हमसफ़र कि मेरे तंज़ पे हंसा था बहुत, सितम ज़रीफ़ मुझे आइना दिखा के मिला|
58. मेरे मिज़ाज पे हैरान है ज़िन्दगी का शऊर, मैं अपनी मौत को अक्सर गले लगा के मिला|
59. मैं उस से मांगता क्या? खून बहा जवानी का, कि वो भी आज मुझे अपना घर लुटा के मिला|
60. मैं जिस को ढूँढ रहा था नज़र के रास्ते में, मुझे मिला भी तो ज़ालिम नज़र झुका के मिला|
61. मैं ज़ख़्म ज़ख़्म बदन ले के चल दिया मोहसिन, वो जब भी अपनी काबा पर केवल सजा के मिला|
62. जिन के आंगन में अमीरी का शजर लगता है, उन का हर एब भी जमानें को हुनर लगता है|
63. सारी गलती हम अपनी किस्मत की कैसे निकल दें, कुछ साथ हमारा तेरी अमीरी ने भी तोडा है|
64. तुमसे मिला था प्यार कुछ अच्छे नसीब थे, हम उन दिनों अमीर थे जब तुम गरीब थे|
65. कैसे बनेगा अमीर वो हिसाब का कच्चा भिखारी, एक सिक्के के बदले जो बेशकीमती दुआये दे देता है|
66. अमीरों के लिए बेशक तमाशा है ये जलजला, गरीब के सर पे तो आसमान टूटा होगा|
67. दिल की दहलीज पर यादों के दिए रखें हैं, आज तक हम ने ये दरवाजे खुले रखे हैं|
68. इस कहानी के वो किरदार कहाँ से लाऊं, वो ही दरिया है वो ही कच्चे घड़े रखे हैं|
69. हम पर जो गुजरी बताया न बताएँगे कभी, कितने ख़त अब भी तेरे लिखे हुए रखे हैं|
70. आपके पास खरीदारी की कुव्वत है अगर, आज सब लोग दुकानों में सजे रखे हैं|
71. दिन की रोशनी ख्वाबों को सजाने में गुजर गई, रात की नींद बच्चे को सुलाने मे गुजर गई, जिस घर मे मेरे नाम की तखती भी नहीं, सारी उमर उस घर को बनाने में गुजर गई|
72. अगर टूटे किसी का दिल तो शब भर आँख रोती है, ये दुनिया है गुलों की जिस्म में काँटे पिरोती है, हम मिलते हैं अपने गाँव में दुश्मन से भी इठलाकर, तुम्हारा शहर देखा तो बड़ी तकलीफ होती है|
73. सरे बाज़ार निकलूं तो आवारगी की तोहमत, तन्हाई में बैठूं तो इल्जाम ए मोहब्बत|
74. ना शाखों ने पनाह दी, ना हवाओ ने बक्शा, वो पत्ता आवारा ना बनता तो क्या करता|
75. मेरी आवारगी में कुछ क़सूर तेरा भी है सनम, जब तेरी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता|
76. क्यूँ मेरी आवारगी पे ऊँगली उठाते हैं जमाने वाले, मैं तो आशिक हूँ और ढूंढता हूँ वफ़ा निभाने वाले|
77. ये इश़्क तो मर्ज़ ही बुढ़ापे का है दोस्तो, जवानी में फुर्सत ही कहाँ आवारगी से|
78. बहुत मुश्किल है बंजारा मिजाजी, सलीका चाहिये जनाब आवारगी में|
79. घर से निकल पड़े आवारगी उठा कर, हमको यही बहुत है असबाब इस सफ़र में|
80. अजीब मिठास है मुझ गरीब के खून में भी, जिसे भी मौका मिलता है वो पीता जरुर है|
81. मजबूरियाँ हावी हो जाएँ ये जरूरी तो नहीं, थोडे़ बहुत शौक तो गरीबी भी रखती है|
82. वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं|
83. वो जिनके हाथ में हर वक्त छाले रहते हैं, आबाद उन्हीं के दम पर महल वाले रहते हैं|
84. भटकती है हवस दिन रात सोने की दुकानों पर, गरीबी कान छिदवाती है तिनके डाल देती है|
85. जरा सी आहट पर जाग जाता है वो रातो को, ऐ खुदा गरीब को बेटी दे तो दरवाज़ा भी दे|
86. जब भी देखता हूँ किसी गरीब को हँसते हुए, यकीनन खुशिओं का ताल्लुक दौलत से नहीं होता|
87. सुला दिया माँ ने भूखे बच्चे को ये कहकर, परियां आएंगी सपनों में रोटियां लेकर|
88. सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरज़ू ये है कि बरसात तेज हो|
89. चेहरा बता रहा था कि मारा है भूख ने, सब लोग कह रहे थे कि कुछ खा के मर गया|
90. रुखी रोटी को भी बाँट कर खाते हुये देखा मैंने, सड़क किनारे वो भिखारी शहंशाह निकला|
91. यूँ न झाँका करो किसी गरीब के दिल में, वहाँ हसरतें बेलिबास रहा करती हैं|
92. तहजीब की मिसाल गरीबों के घर पे है, दुपट्टा फटा हुआ है मगर उनके सर पे है|
93. कैसे मोहब्बत करूं बहुत गरीब हूँ साहब, लोग बिकते हैं और मैं खरीद नहीं पाता|
94. उन घरों में जहाँ मिट्टी के घड़े रहते हैं, क़द में छोटे हों मगर लोग बड़े रहते हैं|
95. यहाँ गरीब को मरने की जल्दी यूँ भी है, कि कहीं कफ़न महंगा ना हो जाए|
96. कुछ दर्द कुछ नमी कुछ बातें जुदाई की, गुजर गया ख्यालों से तेरी याद का मौसम|
97. कभी टूटा नहीं दिल से तेरी याद का रिश्ता, गुफ्तगू हो न हो ख्याल तेरा ही रहता है|
98. तस्वीर में ख्याल होना तो लाज़मी सा है, मगर एक तस्वीर है, जो ख्यालों में बनी है|
99. मुझे जिस दम खयाले नर्गिसे मस्ताना आता है, बड़ी मुश्किल से काबू में दिले दीवाना आता है|
100. पीते पीते जब भी आया तेरी आंखों का खयाल, मैंने अपने हाथ से तोड़े हैं पैमाने बहुत|
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