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Wednesday, December 26, 2018

Top 100 Tariff Shayari in Hindi 2022 {100% Unique & Fresh}



Tariff Shayari in Hindi 2022 - Everything has been covered by us, so we thought to cover this request as well, which was given by our fans since couple of month after we started posting shayari. Enjoy!

Tariff Shayari in Hindi 2022

Tariff Shayari in Hindi 2022


1. उनकी तारीफ़ क्या पूछते हो उम्र सारी गुनाहों में गुजरी, अब शरीफ बन रहे है वो ऐसे जैसे गंगा नहाये हुए है|

2. यू तारीफ ना किया करो मेरी शायरी की, दिल टूट जाता है मेरा जब तुम मेरे दर्द पर वाह वाह करते हो|

3. मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ़ करने वाले| कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारों|

4. क्या लिखूँ तेरी सूरत ए तारीफ मेँ, मेरे हमदम अल्फाज खत्म हो गये हैँ, तेरी अदाएँ देख देख के|

5. एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखू पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये|

6. ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूं, मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता|

7. सभी तारीफ करते हैं, मेरी शायरी की लेकिन, कभी कोई सुनता नहीं, मेरे अल्फाज़ो की सिसकियाँ|

8. तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है, ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, कौन सा फ़ूल है|

9. लोग भले ही मेरी शायरी की तारीफ न करे, खुशी दुगनी होती है जब उसे कॉपी पेस्ट में देखता हूं|

10. तेरी तारीफ मेरी शायरी में जब हो जाएगी, चाँद की भी कदर कम हो जाएगी|

11. उसने तारीफ़ ही कुछ इस अंदाज से की मेरी, अपनी ही तस्वीर को सौ दफ़े देखा मैंने|

12. मुझको मालूम नहीं हुस़्न की तारीफ, मेरी नज़रों में हसीन वो है, जो तुम जैसा हो|

13. ख्वाहिश ये बेशक नही कि तारीफ हर कोई करे, मगर कोशिश ये जरूर है कि कोई बुरा ना कहे|

14. वो कहती हैँ हम उनकी झूठी तारीफ करते हैँ, ए खुदा बस एक दिन आईने को जुबान दे दे|

15. तारीफ़ के मोहताज नही होते हैं सच्चे लोग, ऐ दोस्त असली फूलो पर कभी इत्र छिड़का नहीं जाता|

16. तेरे हुस्न पर तारीफ भरी किताब लिख देता, काश के तेरी वफ़ा तेरे हुस्न के बराबर होती|

17. तेरे हुस्न की तारीफ मेरी शायरी के बस की नहीं, तुझ जैसी कोई और कायनात में बनी नहीं|

18. सोचता हु हर शायरी पे तेरी तारीफ करु, फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए|

19. लोग कहते हैं जिन्हें नील कंवल वो तो क़तील, शब को इन झील सी आँखों में खिला करते है|

20. उसकी कुदरत देखता हूँ तेरी आँखें देखकर, दो पियालों में भरी है कैसे लाखों मन शराब|

21. उनकी बातों का दौर उनकी आवाज का दीवाना, वो दिन भी क्या दिन थे, जब वो पास थे मेरे और अजनबी था जमाना|

22. मैने समझा था कि तू है तो दरख़्शां है हयात, तेरा ग़म है तो ग़मे दहर का झगड़ा क्या है, तेरी सूरत से है आलम में बहारों को सबात, तेरी आँखों के सिवा दुनिया मे रक्खा क्या है|

23. दिल में समा गई हैं क़यामत की शोख़ियाँ, दो चार दिन रहा था किसी की निगाह में|

24. चुप ना होगी हवा भी, कुछ कहेगी घटा भी, और मुमकिन है तेरा, जिक्र कर दे खुद़ा भी| फिर तो पत्थर ही शायद जज़्बातो से काम लेंगे, हुस्न की बात चली तो, सब तेरा नाम लेंगे|

25. ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं|

26. इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी, ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी|

27. ख़ूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साफ़ छुपते भी नहीं सामने आते भी नहीं|

28. आज इस एक नजर पर मुझे मर जाने दो, उस ने लोगों बड़ी मुश्किल से इधर देखा है, क्या गलत है जो मैं दीवाना हुआ, सच कहना, मेरे महबूब को तुम ने भी अगर देखा है|

29. जिस रंग में देखो उसे वो पर्दानशीं है, और उसपे ये पर्दा है कि पर्दा ही नहीं है, मुझ से कोई पूछे तेरे मिलने की अदायें, दुनिया तो यह कहती है कि मुमकिन ही नहीं है|

30. लेने न पाए उनकी बलायें बढ़ा के हाथ, उस बदगुमाँ ने थाम लिए मुस्कुरा के हाथ|

31. ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है, उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है|

32. क्यों चाँदनी रातों में दरिया पे नहाते हो, सोये हुए पानी में क्या आग लगानी है|

33. इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको, कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी|

34. इस डर से कभी गौर से देखा नहीं तुझको, कहते हैं कि लग जाती है अपनों की नज़र भी|

35. तेरी बेझिझक हँसी से न किसी का दिल हो मैला, ये नगर है आईनों का यहाँ साँस ले संभल के|

36. माना हमारे जैसे हजारों हैं शहर में, तुम जैसी कोई चीज मगर दूसरी कहाँ|

37. नहीं भाता अब तेरे सिवा किसी और का चेहरा, तुझे देखना और देखते रहना दस्तूर बन गया है|

38. नींद से क्या शिकवा जो आती नहीं रात भर, कसूर तो उस चेहरे का है जो सोने नहीं देता|

39. नाज़ुकी उसके लब की क्या कहिए, पंखुड़ी इक गुलाब की सी है|

40. अब तक मेरी यादों से मिटाए नहीं मिटता, भीगी हुई इक शाम का मंज़र तेरी आँखें|

41. हया से सर झुका लेना अदा से मुस्कुरा देना, हसीनों को भी कितना सहल है बिजली गिरा देना|

42. हुस्न की ये इन्तेहाँ नहीं है तो और क्या है, चाँद को देखा है हथेली पे आफताब लिए हुए|

43. ये दिलबरी, ये नाज़, ये अंदाज़, ये जमाल, इंसान करे अगर न तेरी चाह  क्या करे|

44. तुझको देखेंगे सितारे तो स्याह माँगेंगे, और प्यासे तेरी ज़ुल्फों से घटा माँगेंगे, अपने कंधे से दुपट्टे को ना सरकने देना, वर्ना बूढ़े भी जवानी की दुआ माँगेंगे|

45. कितना खूबसूरत चेहरा है तुम्हारा, ये दिल तो बस दीवाना है तुम्हारा, लोग कहते है चाँद का टुकड़ा तुम्हें, पर मैं कहता हूँ चाँद भी टुकड़ा है तुम्हारा|

46. उसने होठों से छू कर दरिया का पानी गुलाबी कर दिया, हमारी तो बात और थी उसने मछलियों को भी शराबी कर दिया|

47. आकाश में चमकते सितारे हो आप, चाँद के खूबसूरत नज़ारे हो आप, इस जिंदगी को जीने के सहारे हो आप, मेरे प्यार से भी प्यारे हो आप|

48. तेरी ज़ुल्फ़ों की घटाओं का मुंतज़िर हुआ जाता हूँ, अब ये आलम है कि बारिश भी सूखी सी लगती है|

49. निगाह उठे तो सुबह हो, झुके तो शाम हो जाये, एक बार मुस्कुरा भर दो तो कत्ले आम हो जाये|

50. घनी जुल्फों के साये में चमकता चाँद सा चेहरा, तुझे देखूं तो कुछ रातें सुहानी याद आती हैं|

51. क़यामत टूट पड़ती है ज़रा से होंठ हिलने पर, ना जाने हश्र क्या होगा अगर वो मुस्कुराये तो|

52. उतरा है मेरे दिल में कोई चाँद नगर से, अब खौफ ना कोई अंधेरों के सफ़र से, वो बात है तुझ में कोई तुझ सा नहीं है, कि काश कोई देखे तुझे मेरी नजर से|

53. ऐ चाँद मत कर इतना गुरुर तुझमें तो दाग है, पर मेरे वजूद में जो चाँद सिमटा है वो बेदाग है|

54. तुझको देखा तो फिर किसी को नहीं देखा, चाँद कहता रहा मैं चाँद हूँ, मैं चाँद हूँ|

55. खूबसूरती ना सूरत में है, ना लिबास में, ये निगाहें जिसे चाहे हसीन कर दें|

56. उसके चेहरे की चमक के सामने सब सादा लगा आसमान पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा|

57. नज़र इस हुस्न पर ठहरे तो आखिर किस तरह ठहरे कभी जो फूल बन जाये कभी रुखसार हो जाये|

58. उफ़ वो संगेमरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन देखने वाले जिसे ताज महल कहते हैं|

59. तेरी सादगी का हुस्न भी लाजवाब है, मुझे नाज़ है के तू मेरा इंतेख़ाब है|

60. जब से देखा हैं उन्हें मुझे अपना होश नहीं, जाने क्या चीज़ वो नज़रो से मुझे पिला देतें है|

61. हसीनो से तो बस साहिब सलामत दूर से अच्छी, न इनकी दोस्ती अच्छी, न इनकी दुश्मनी अच्छी|

62. दिल तो चाहता है चूम लू तेरे रुखसार, फिर सोचते हैं के तेरे हुस्न को दाग़ न लग जाए|

63. तेरे हुस्न को परदे की ज़रुरत नहीं है ग़ालिब, कौन होश में रहता है तुझे देखने के बाद|

64. यह पर्दादारी है क्या तमाशा मुझ ही में रह कर मुझी से पर्दा, तबाह करना अगर है मुझको नकाब उठा तबाह कर|

65. कांच का जिस्म कहीं टूट न जाये, हुस्न वाले तेरी अंगड़ाइयो से डर लगता है|

66. तेरा मुस्कुराना देना जैसे पतझड़ में बहार हो जाये, जो तुझे देख ले वो तेरे हुस्न में ही खो जाये|

67. आंखे तेरी जैसी समन्दर हो शराब का, पी के झूमता रहे कोई नशा तेरे शबाब का|

68. तेरे जिस्म की बनावट संगमरमर की मूरत से कम नहीं, तुझे देख लूं जी भर के फिर मरने का भी गम नहीं|

69. मैं अदना सा एक शायर तेरे हुस्न की और क्या तारीफ करूं, मैं तेरे लिए ही जीता हूं और रब करे तेरे लिए ही मरूं|

70. ना चाहते हुए भी आ जाता हैं लबों पे तेरा नाम, कभी तेरी तारीफ में तो कभी तेरी शिकायत में|

71. हुस्न को बे हिज़ाब होना था, शौक़ को कामयाब होना था|

72. तेरे जलवों पे मर मिट गए आखिर, ज़र्रे को आफताब होना था|

73. सभी तारीफ करते हैं, मेरी शायरी की लेकिन, कभी कोई सुनता नहीं, मेरे अल्फाज़ो की सिसकियाँ|

74. तारीफ़ अपने आप की, करना फ़िज़ूल है, ख़ुशबू तो ख़ुद ही बता देती है, कौन सा फ़ूल है|

75. एक लाइन में क्या तेरी तारीफ़ लिखू पानी भी जो देखे तुझे तो प्यासा हो जाये|

80. ये इश्क़ बनाने वाले की मैं तारीफ करता हूं, मौत भी हो जाती है और क़ातिल भी पकड़ा नही जाता|

81. मिल जाएँगे हमारी भी तारीफ करने वाले, कोई हमारी मौत की अफ़वाह तो फैलाओ यारों|

82. लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नामसे कि जिसने तुम्हे देखा भीनही, उसने भी तेरी तारीफ कर दी|

83. तेरे इख़्तियार में है फिजा, तू खिज़ां का जिश्म सवार दे मुझे रूह से तू नवाज दे, मुझे जिंदगी से न कर जुदा|

84. तेरी अदाएं, तेरे ये नाज़नीन से अन्दाज़, अपनी अदा आप रखते हैं|

85. सोचता हु हर कागज पे तेरी तारीफ करु, फिर खयाल आया कहीँ पढ़ने वाला भी तेरा दीवाना ना हो जाए|

86. दुल्हन बन के मेरी जब वो मेरी बाँहों में आयी थी, सेज सजी थी फूलों की पर उस ने महकाई थी|

87. घूँघट में इक चाँद था और सिर्फ तन्हाई थी, आवाज़ दिल के धड़कने की भी फिर ज़ोर से आयी थी|

88. तुझे क्या कहूं तू है मरहबा, तेरा हुस्न जैसे है मयकदा मेरी मयकशी का सुरूर है, तेरी हर नजर तेरी हर अदा|

89. क्या बतलाये अब हम वह रात किस कदर निराली थी, हमारे सुहाग की वो रात ,जो इतनी शोख मतवाली थी|

90. खुशबु आ रही है कहीं से ताज़े गुलाब की, शायद खिड़की खुली रेह गई होगी उनके मकान की|

91. रोज इक ताज़ा शेर कहाँ तक लिखूं तेरे लिए, तुझमें तो रोज ही एक नई बात हुआ करती है|

92. कैसी थी वो रात कुछ कह सकता नहीं मैं, चाहूँ कहना तो बयां कर सकता नहीं मैं|

93. हुस्न वालों को संवरने की क्या जरूरत है, वो तो सादगी में भी क़यामत की अदा रखते हैं|

94. हैं होंठ उसके किताबों में लिखी तहरीरों जैसे, ऊँगली रखो तो आगे पढ़ने को जी करता है|

95. कसा हुआ तीर हुस्न का, ज़रा संभल के रहियेगा, नजर नजर को मारेगी, तो क़ातिल हमें ना कहियेगा|

96. यारो कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहों का, वो जो सिमटते होंगे उनमें, वो तो मर जाते होंगे|

97. न कर ऐ बागबां शिकवा गुलाबों की बेनियाज़ी पर, हसीन जो भी होते हैं जरा मगरूर होते हैं|

98. उनके हुस्न का आलम न पूछिये, बस तस्वीर हो गया हूँ, तस्वीर देखकर|

99. एक तो हुस्न बला उस पे बनावट आफत, घर बिगाड़ेंगे हजारों के संवरने वाले|

100. मुझे दुनिया की ईदों से भला क्या वास्ता यारो, हमारा चाँद दिख जाये हमारी ईद हो जाये|

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