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Monday, March 11, 2019

Top 100 Osho Shayari in Hindi 2022 [Fresh & Unique]



Osho Shayari in Hindi 2022: Here is the list some of the best Shayari from all over the world. It's pure in Hindi with Hindi fonts. We hope that you like the collection. Enjoy! don't forget to share!

Osho Shayari in Hindi 2020

Osho Shayari in Hindi 2022


1. धर्म वही है जो नाचता हुआ है। जो धर्म हंसी न दे और जो धर्म खुशी-उत्साह न दे, वह धर्म, धर्म नहीं है।

2. कोई प्रबुद्ध कैसे बन सकता है? बन सकता है, क्योंकि वो प्रबुद्ध होता है- उसे बस इस तथ्य को पहचानना होता है.

3. कोई चुनाव मत करिए. जीवन को ऐसे अपनाइए जैसे वो अपनी समग्रता में है.

4. अर्थ मनुष्य द्वारा बनाये गए हैं . और क्योंकि आप लगातार अर्थ जानने में लगे रहते हैं , इसलिए आप अर्थहीन महसूस करने लगते हैं.

5. मानो नहीं, जानो। भागो मत, जागो। जो कुछ है, वह आज अभी और यहीं है।

6. सिर्फ दो बातें याद रखनी हैं : एक ध्यान व दूसरा प्रेम। फिर किसी धर्म की जरूरत नहीं रहती। ध्यान स्वयं के लिए और प्रेम दूसरों के लिए। ध्यान भीतर जाने के लिए और प्रेम बाहर जाने के लिए।

7. तुम्हारे और मेरे में अंतर क्या है? बस एक अंतर है कि मैं अपने ईश्वरत्व को पहचाना हूं और तुम अपने ईश्वरत्व को नहीं पहचानते। मैं जाग गया हूं और तुम गहरी नींद में सोए हो।

8. तुम जहां, जैसे हो, उस सबका कारण तुम्हीं हो। तुम स्वयं को बदल कर इसे बदल सकते हो।

9. मैं तुमसे यह नहीं कहता कि अपनी परिस्थिति को बदल दो। मैं तुमसे कहता हूं कि तुम अपनी मनोदशा को बदल लो। बाजार में रहते हुए भी बाजार का हिस्सा मत बनना। संसार में रहो लेकिन संसार तुम्हें प्रदूषित न करे।

10. मैंने बड़े बड़े काम किए; मैंने अपने लिये घर बनवा लिए और अपने लिये दाख की बारियाँ लगवाईं; मैंने अपने लिये बारियाँ और बाग लगवा लिए, और उनमें भाँति भाँति के फलदाई वृक्ष लगाए। मैंने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिए कि उनसे वह वन सींचा जाए जिसमें पौधे लगाए जाते थे। मैंने दास और दासियाँ मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए; और जितने मुझसे पहिले यरूशलेम में थे उसने कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़- बकरियों का मैं स्वामी था।

11. मैं एक ही अनुशासन देता हूं कि तुम सदा सचेत रहना और अपने जैसे होने में लगे रहना। हीनता से बचना। यह एक दफा पैदा हो गई तो तुम किसी का अनुसरण करोगे। कोई आदर्श, कोई प्रतिमा, किसी के पीछे चलने लगोगे।

12. तुम्हारी निर्भर होने की इच्छा के कारण ही तुम सब तरह के संप्रदायों और पंथों के गुलाम हो गए।

13. मैंने चाँदी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैंने अपने लिये गायकों और गायिकाओं को रखा, और बहुत सी कामिनियाँ भी –जिनसे मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं। इस प्रकार मैं अपने से पहले के सब यरूशलेमवासियों से अधिक महान और धनाढ्य हो गया… और जितनी वस्तुओं के देखने की मैंने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैंने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही
  1. ध्यान चीज़ों को याद रखने की नहीं बल्कि उनको भुलाने की प्रक्रिया है -Osho(ओशो)
  2. तुम जहां, जैसे हो, उस सबका कारण तुम्हीं हो। तुम स्वयं को बदल कर इसे बदल सकते हो।
  3. मैं तुमसे यह नहीं कहता कि अपनी परिस्थिति को बदल दो। मैं तुमसे कहता हूं कि तुम अपनी मनोदशा को बदल लो। बाजार में रहते हुए भी बाजार का हिस्सा मत बनना। संसार में रहो लेकिन संसार तुम्हें प्रदूषित न करे।
  4. मैंने बड़े बड़े काम किए; मैंने अपने लिये घर बनवा लिए और अपने लिये दाख की बारियाँ लगवाईं; मैंने अपने लिये बारियाँ और बाग लगवा लिए, और उनमें भाँति भाँति के फलदाई वृक्ष लगाए। मैंने अपने लिये कुण्ड खुदवा लिए कि उनसे वह वन सींचा जाए जिसमें पौधे लगाए जाते थे। मैंने दास और दासियाँ मोल लीं, और मेरे घर में दास भी उत्पन्न हुए; और जितने मुझसे पहिले यरूशलेम में थे उसने कहीं अधिक गाय-बैल और भेड़- बकरियों का मैं स्वामी था।
  5. मैं एक ही अनुशासन देता हूं कि तुम सदा सचेत रहना और अपने जैसे होने में लगे रहना। हीनता से बचना। यह एक दफा पैदा हो गई तो तुम किसी का अनुसरण करोगे। कोई आदर्श, कोई प्रतिमा, किसी के पीछे चलने लगोगे।
  6. तुम्हारी निर्भर होने की इच्छा के कारण ही तुम सब तरह के संप्रदायों और पंथों के गुलाम हो गए।
  7. अपने आप को खोजिये, नहीं तो
    आपको दुसरे लोगों के राय पर ही निर्भर रहना पड़ेगा,
    और वो जो खुद को नहीं जानते.
  8. आध्यात्मिक गुरु ओशो अपने खुले विचारों के कारण काफी प्रसिद्ध थे जिसके कारण देश नहीं विदेशों तक उनके चाहने वाले बहुत मिले.
  9. अपने अंतरात्मा से निकले विचारो कारण उनकी बहुतों ने निंदा भी की लेकिन अपनी निंदा सुनकर भी विचलित नहीं हुए. आज भी उनके विचार लोगो का मार्गदर्शन करती हैं.
  10. आध्यात्मिक गुरु ओशों का जन्म भारत के मध्यप्रदेश में स्थित कुचवाड़ा स्थान पर 11 दिसम्बर 1931 मे हुआ था. इनके पिता श्री का नाम श्री बाबू लाल जैन था और माता जी का नाम सरस्वती जैन था.
  11. ओशो के बचपन का नाम चंद्रमोहन जैन था. जो की तारणपंथी दिगंबर जैन थे. वो अपनी माता पिता के ग्यारवीं संतान में सबसे बडे़ पुत्र थें.
  12. उस रास्ते पर मत चलो जिसपर डर तुम्हें ले जाये ,
    बल्कि उस रास्ते पर चलो जिसपर प्रेम ले जाये,
    उस रास्ते पर चलो जिसपर ख़ुशी तुम्हें ले जाये -Osho Quote
  13. आप वही बन जाते हैं जो आप अपने बारे में सोचते हैं -Osho(ओशो)
  14. सबसे बड़ी मुक्ति है स्वयं को मुक्त करना क्योंकि साधारणतया हम भूले ही रहते हैं कि स्वयं पर हम स्वंय ही सबसे बड़ा बोझ हैं -Osho(ओशो)
  15. ओशो बचपन से ही अत्यन्त सरल और गंभीर स्वभाव के थें. और उन्हे शुरु से ही दर्शन शास्त्र मे रुची रही. उन्होने अपनी शिक्षा जबलपुर से की. शिक्षा पुरी करने के बाद जबलपुर यूनिवर्सिटी में ही लेक्चरर के रुप में पढ़ाने लगे.
  16. फिर समय बदलता गया और उनका आध्यात्म के प्रति ज्ञान की वृद्धि होती गई. उसके बाद उन्होने अलग.अलग धर्मो और विचारधारा पर देश के अन्दर अपने प्रवचन देना प्रारम्भ कर दिया और उनकी प्रसिद्धि लगातार बढ़ती गई.
  17. अपने प्रवचनों के साथ.साथ ध्यान शिविर का भी आयोजन करते थे. जिसके कारण उन्हे आचार्य रजनीश के नाम से भी लोग जानने लगे. इसी तरह उनकी प्रसिद्धि देश ही नही विदेशों तक फैलने लगी.
  18. यहाँ कोई भी आपका सपना पूरा करने के लिए नहीं है, हर कोई अपनी तकदीर और अपनी हक़ीकत बनाने में लगा है -Osho Quotes on Life
  19. किसी से किसी भी तरह की प्रतिस्पर्धा की आवश्यकता नहीं है, आप स्वयं में जैसे हैं एकदम सही हैं, खुद को स्वीकारिये -Osho(ओशो)
  20. आप जितने लोगों को चाहें उतने लोगों को प्रेम कर सकते हैं- इसका ये मतलब नहीं है कि आप एक दिन दिवालिया हो जायेंगे, और कहेंगे, “अब मेरे पास प्रेम नहीं है”. जहाँ तक प्रेम का सवाल है आप दिवालिया नहीं हो सकते -Osho(ओशो)
  21. मित्रता शुद्ध प्रेम है ये प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नहीं माँगा जाता, कोई शर्त नहीं होती, जहां बस देने में आनंद आता है -Osho(ओशो)
  22. और उसके बाद सन 1981 से 1985 के बीच अमरीका रवाना हो गये और उन्होने वही अमरीकी प्रांत ओरगाॅना मे अपना एक आश्रम की स्थापना की जो 65 हजार एकड़ मे बनाया गया था.
  23. अमरीका रहने के दौरान काफी विवाद भी उत्पन्न हुआं जब उन्होने ओरगाॅना मे स्थित अपने आश्रम को एक शहर की तौर पर रजिस्टर्ड कराना चाहा तब वहा के नगरिकों ने इसका जमकर विरोध किया.
  24. और इसी चलते आखिरकार भारत लौट आयें भारत मे उनका आश्रम पुणे के कोरेगांव इलाके मे था. वही रहकर प्रवचन और ध्यान शिविर चलाने लगे.
    आध्यात्मिक गुरु रजनीश ओशो का निधन 19 जनवरी, 1990 हो गया.
  25. मैंने चाँदी और सोना और राजाओं और प्रान्तों के बहुमूल्य पदार्थों का भी संग्रह किया; मैंने अपने लिये गायकों और गायिकाओं को रखा, और बहुत सी कामिनियाँ भी –जिनसे मनुष्य सुख पाते हैं, अपनी कर लीं। इस प्रकार मैं अपने से पहले के सब यरूशलेमवासियों से अधिक महान और धनाढ्य हो गया… और जितनी वस्तुओं के देखने की मैंने लालसा की, उन सभों को देखने से मैं न रूका; मैंने अपना मन किसी प्रकार का आनन्द भोगने से न रोका क्योंकि मेरा मन मेरे सब परिश्रम के कारण आनन्दित हुआ; और मेरे सब परिश्रम से मुझे यही
  26. जीवन आंख मूंदकर खुद को दोहराता है – जब तक आप इसके प्रति जागरूक नहीं हो जाते हैं, यह एक चक्र की तरह दोहराता रहेगा.
  27. अच्छा – बुरा, कड़वा – मीठा, अँधेरा – प्रकाश, गर्मी – सर्दी – सभी संभव तरीके से जीवन का अनुभव होता है. सभी द्वंद्वों का अनुभव होता है. अनुभव से डरो मत, क्योंकि आपको अधिक अनुभव होने से आपकी परिपक्वता ब
  28. किसी के साथ, किसी भी प्रतियोगिता की कोई जरूरत नहीं है. आप अपने आप से हैं, और आप जैसे हैं, आप पूर्ण रूप से अच्छे हैं. अपने आप को स्वीकार करो.
  29. मैं स्वयं को भगवान कहता रहा हूं सिर्फ एक चुनौती की तरह। मैंने इसे नया अर्थ देने की कोशिश की। मैंने कहा कि भगवान का अर्थ है – भाग्यवान, जिसके प्राण धन्य हुए।
  30. कल कभी भी नहीं होता है, जब भी हाथ में आता है, तो आता है आज और उसको भी कल पर छोड़ देते हैं, हम जीते ही नहीं, स्थगित किये चले जाते हैं| कल जी लेंगे ,परसों जी लेंगे -Osho(ओशो)
  31. जो भी किया जा सकता है, उसी वक़्त किया जा सकता है, जिसे आप कल पर छोड़ रहे हैं, जान लें, आप करना नहीं चाहते हैं -Osho(ओशो)
  32. जिस दिन आप ने सोच लिया कि आपने ज्ञान पा लिया है, उस दिन आपकी मृत्यु हो जाती है क्योंकि अब ना कोई आश्चर्य होगा, ना कोई आनंद और ना कोई अचरज, अब आप एक मृत जीवन जियेंगे -Osho(ओशो)
  33. अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए, जीवन को मजे के रूप में लीजिये क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है -Osho(ओशो)
  34. . कुछ बनने का विचार छोड़ दें, क्योंकि आप पहले से ही एक अत्युत्तम कृति हैं. आप में सुधार नहीं किया जा सकता है. आपको केवल अपनी कृति पर आना होगा, इसे जानना होगा, इसे साकार करना होगा.
  35. . प्यार में पड़ने से आप एक बच्चे की तरह रहेंगे; प्यार में बढ़ोतरी से आप परिपक्व होते हैं. प्यार से तुरंत कोई रिश्ता नहीं बन जाता है, इससे आपकी हस्ती बनती है. फिर आप प्यार में नहीं हैं बल्कि – अब आप खुद ही प्यार हैं.
  36. प्रत्येक व्यक्ति एक विशिष्ट भाग्य के साथ इस दुनिया में आता है – उसके पास जो कुछ है उसे परिपूर्ण करना पड़ता है, कुछ सन्देश दुनिया को देना होता है – कुछ कार्य जिन्हें पूरा करना पड़ता है. आप यहाँ संयोगवश नहीं हो – आपकी यहाँ सार्थकता है. आप के पीछे एक उद्देश्य है. सृष्टि आपके माध्यम से कुछ कराना चाहती है.
  37. जो कुछ भी महान है उस पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता. और यह सबसे मूर्ख बातों में से एक है जो मनुष्य करता है – मनुष्य अधिकार चाहता है.
  38. अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है. अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है.
  39. किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है. तुम जैसे हो अच्छे हो. अपने आप को स्वीकार करो.
  40. तुम जीवन में तभी अर्थ पा सकते हो जब तुम इसे निर्मित करते हो. जीवन एक कविता है जिसे लिखा जान चाहिए. यह गाया जाने वाला गीत, किया जाने वाला नृत्य है.
  41. अनुशासन क्या है? अनुशासन का मतलब आपके भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना है. तुम तो एक अव्यवस्था, एक केऑस हो.
  42. तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी. वरना तो प्रेम पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है.
  43. जितनी ज़्यादा ग़लतियां हो सकें उतनी ज़्यादा ग़लतियां करो. बस एक बात याद रखना: फिर से वही ग़लती मत करना. और देखना, तुम प्रगति कर रहे होगे.
  44. मेरे ज्ञान ने मुझे सभी चीज़ों से मुक्ति दिलवाई,
    जिसमें स्वयं ज्ञान भी शामिल है.
  45. अधिक से अधिक भोले, कम से कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिए.
    जीवन को आंनद लेते हुए जिए, क्योंकि वास्तविकता में यही जीवन है.
  46. जब भी कभी तुम्हें डर लगे, तलाशने का प्रयास करो. और तुमको पीछे छिपी हुई मृत्यु मिलेगी. सभी भय मृत्यु के हैं. मृत्यु एकमात्र भय-स्रोत है.
  47. एक भीड़, एक राष्ट्र, एक धर्म, एक जाति का नहीं पूरे अस्तित्व का हिस्सा बनो. अपने को छोटी चीज़ों के लिए क्यों सीमित करना सब संपूर्ण उपलब्ध है?
  48. जैन लोग बुद्ध को इतना प्रेम करते हैं कि वो उनका मज़ाक भी उड़ा सकते हैं.
    ये ह्रदय में समाये अथाह प्रेम के कारण से है; क्युकी उनमे डर नहीं है. सिर्फ प्रेम हैं
  49. इससे पहले कि तुम चीजों की इच्छा करो, थोड़ा सोच लो. हर संभावना है कि इच्छा पूरी हो जाए, और फिर तुम कष्ट भुगतो.
  50. तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ. तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा. तुम शांत हो जाओगे – उसे यहीं पाओगे. तुम शांत हो जाओगे तो अपने को उसके साथ झूलते हुए पाओगे.
  51. आत्मा की सबसे बड़ी बीमारी गंभीरता है,
    और चंचलता सबसे बड़ी सेहत है.
  52. आत्मज्ञान एक समझ है कि और यही सबकुछ है,
    और यही बिलकुल सही है , और बस यही है
    आत्मज्ञान कोई उप्लाब्धि नही है,
    बस यह जानना है कि ना कुछ पाना है और ना ही कहीं जाना है.
  53. प्यार एक शराब है, आप को उसका स्वाद लेना चाहिये,
    उसे पीना चाहिये, उसमें पूरी तरह से डूब जाना चाहिये.
    तभी आपको पता चल पाएंगे की वह क्या है.
  54. अर्थ मनुष्य के द्वारा ही बनाये गए हैं .
    और चूँकि आप इस अर्थ को लगातार जानने में लगे रहते हैं ,
    इसलिए अपने आपको अर्थहीन महसूस करने लगते हैं.
  55. प्यार एक पक्षी है जिसे आज़ाद रहना पसंद है.
    जिसे बढ़ने के लिए पूरे आकाश की जरूरत होती है.
  56. यदि आप एक दर्पण बन सकते हैं तो, आप एक ध्यानी बन सकते हैं.
    ध्यान दर्पण में देखने की कला है.
    और तब, आपके अन्दर किसी भी प्रकार का विचार नहीं चलता
    इसलिए कोई आपको व्याकुलता नहीं होती.
  57. मनुष्य केवल संभावित रूप में जन्म को लेता है.
    वह अपने और दूसरों के लिए एक कांटा भी बन सकता है,
    और वह खुद दूसरों के लिए एक फूल भी बन सकता है.
  58. एक महिला विश्व की सबसे सुन्दर कृति है,
    उसकी किसी से भी तुलना ना करें.
    भगवान द्वारा की गयी यह एक उत्कृष्ट कृति है.
  59. क्योंकि कोई आपको नफरत के बारे में नहीं पढ़ाता है,
    और इसी कारण नफरत एकदम शुद्ध, बिना मिलावट के रह गयी है.
    जब कोई आपसे नफरत करता है तो ,
    आप भरोसा कर सकते हैं कि वो आपसे नफरत करता है.
  60. जिस दिन आप ने यह सोच लिया कि आपने सम्पूर्ण ज्ञान को प्राप्त कर लिया है,
    तो उसी पल आपकी मृत्यु हो जाती है,
    क्योंकि तब ना कोई आश्चर्य होगा, ना ही किसी प्रकार का आनंद और ना ही कोई आश्चर्य .
    बस आप एक मृत जीवन जियेंगे.
  61. जब भी आप प्यार की योजना बनाते हो
    और जब भी आपका ध्यान पूरी तरह से उसमें शामिल हो जाता है
    तब ये झुटा और पाखंडी बन जाता है.
  62. अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानी और बच्चों की तरह बनिये है। जीवन को मजे के रूप में लीजिये। क्योकि वास्तविकता में यही जीवन है। ओशो
  63. यहाँ कोई अपना नही है यह इतना बड़ा सत्य है इससे कभी लड़ना मत, स्वीकार ही कर लेना।
  64. भ्रम हमेशा रिश्तों को बिखेरता है और प्रेम से अजनबी भी बन्ध जाता है।
  65. अंधेरा, प्रकाश की अनुपस्थिति है. अहंकार, जागरूकता की अनुपस्थिति है
  66. बीते हुए कल के कारण बेकार में बोझिल ना हो जो पाठ आपने पढ़ लिया उसे बंद करते जाओ बार–बार उस पर जाने की ज़रूरत नही है।
  67. मित्रता प्रेम का सर्वोच्च रूप है जहाँ कुछ भी नही माँगा जाता कोई शर्त नही होती जहाँ बस देने का आनंद होता है।
  68. वह इंसान जो अकेले रहकर भी ख़ुश है असल में वही इंसान कहलाने योग्य है आपकी ख़ुशी अगर दूसरों पर निर्भर करती है तो आप एक ग़ुलाम हो आप बंधन में बँधे हुए हो।
  69. यदि कोई व्यक्ति लाखों चीज़ों को जानने के बाद स्वयं को नही जानता तो वह अज्ञानी है।
  70. सादगी में बहुत सुंदरता है जो चीज़ सादी है वह सत्य के नज़दीक है।
  71. हम इस शरीर से लिपटी हुई आत्मा है जिसका सिर्फ़ एक ही लक्ष्य है परमात्मा से मिलन ।
  72. बैठा हूँ अगर मयखाने में तो मुझे शराबी ना समझो हर शख़्स जो मस्जिद से निकलता है नमाज़ी नही होता।
  73. जो कुछ भी महान है उस पर किसी का अधिकार नहीं हो सकता. और यह सबसे मूर्ख बातों में से एक है जो मनुष्य करता है – मनुष्य अधिकार चाहता है.
  74. सब कहते है गुरु का आदर करना चाहिए और मैं कहता हूँ जिसका आदर करना ही पड़े वही गुरु है।करना चाहिए का कोई सवाल नही उठता और जहाँ करना चाहिए का सवाल उठता है वहाँ कोई आदर हो नही सकता आदर कोई थोपा नही जा सकता उसे माँग कर नही लिया जाता।
  75. अधिक से अधिक भोले और बच्चे की तरह बनिए जीवन को आनंद के रूप में लीजिए क्योंकि वस्विकता में यही जीवन है।
  76. किसी के साथ किसी भी प्रतियोगिता की कोई ज़रूरत नहीं है. तुम जैसे हो अच्छे हो. अपने आप को स्वीकार करो.
  77. प्रेम तब ख़ुश होता है जब वो कुछ दे पाता है अहंकार तब ख़ुश होता है जो वो कुछ ले पाता है।
  78. सत्य को स्वयं जानोगे तो ही,केवल तो ही संतोष की वीणा तुम्हारे भीतर बजेगी मेरा जाना हुआ सत्य तुम्हारे किसी काम का नही।
  79. कोई विचार नहीं, कोई बात नहीं, कोई विकल्प नहीं – शांत रहो, अपने आप से जुड़ो.
  80. जब भी कभी तुम्हें डर लगे, तलाशने का प्रयास करो. और तुमको पीछे छिपी हुई मृत्यु मिलेगी. सभी भय मृत्यु के हैं. मृत्यु एकमात्र भय-स्रोत है.
  81. अनुशासन क्या है? अनुशासन का मतलब आपके भीतर एक व्यवस्था निर्मित करना है. तुम तो एक अव्यवस्था, एक केऑस हो.
  82. तुम्हें अगर कुछ हानिकारक करना हो तभी ताकत की जरूरत पड़ेगी. वरना तो प्रेम पर्याप्त है, करुणा पर्याप्त है.
  83. एक भीड़, एक राष्ट्र, एक धर्म, एक जाति का नहीं पूरे अस्तित्व का हिस्सा बनो. अपने को छोटी चीज़ों के लिए क्यों सीमित करना सब संपूर्ण उपलब्ध है?
  84. तुम जीवन में तभी अर्थ पा सकते हो जब तुम इसे निर्मित करते हो. जीवन एक कविता है जिसे लिखा जान चाहिए. यह गाया जाने वाला गीत, किया जाने वाला नृत्य है.
  85. अपने मन में जाओ, अपने मन का विश्लेषण करो. कहीं न कहीं तुमने खुद को धोखा दिया है.
  86. जितनी ज़्यादा ग़लतियां हो सकें उतनी ज़्यादा ग़लतियां करो. बस एक बात याद रखना: फिर से वही ग़लती मत करना. और देखना, तुम प्रगति कर रहे होगे.
  87. तलाशो मत, पूछो मत, ढूंढो मत, खटखटाओ मत, मांगो मत – शांत हो जाओ. तुम शांत हो जाओगे – वो आ जाएगा. तुम शांत हो जाओगे – उसे यहीं पाओगे. तुम शांत हो जाओगे तो अपने को उसके साथ झूलते हुए पाओगे.
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